Monday, March 23, 2009

एक छोटा सा साइड इफेक्ट

दिन कुछ छोटे और रातें लम्बी होने लगी,
आसपास के लोगों में अब बातें होने लगी,
चाहा किसने और चाहा किसको यह तो मालूम नहीं,
पर दिल में हलकी सी एक आहट होने लगी,
सपनो में वो आते नहीं, नींद एक फ़साना लगने लगी,
जागते रहने के लिए तस्वीर उनकी, बहाना लगने लगी,
हैं तक़दीर में हमारे क्या, यह तो नहीं जानते हम,
पर उनकी हर बात अब, कहानी हमारी लगने लगी।