Tuesday, February 24, 2009

नासमझ सवाल

बचपन बीता, जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ,
तो एक अजब परिवर्तन हुआ,
पहले कहते हे घरवाले, "बेटा थोड़ा बहार निकल, खेल-कूद और बात कर,"
जब मानी मैंने उनकी बात, तो बदल गए अब उनके भाव,
"थोड़ा घर में रहा करो, कभी तो कुछ पढ़ा करो,"
दोस्तों का भी था कुछ यही हाल, उनके भी थे तगडे विचार,
कहा करते थे कभी- " चुप ना रहा कर, साथ तो रहा कर,
कभी तो हँसा कर, कुछ तो मस्ती कर"
और अब- " कभी तो चुप रहा कर, दुसरो की भी सुना कर,
मस्ती थोडी कम कर, अपनी चलाना बंद कर"
मन में था बस यही सवाल, क्या यही है इस दुनिया का रिवाज,
जो करना चाहो वो करो, ख़ुद से ज्यादा दुनिया की सुनो,
जंजीरों से बंधे रहो, जहाँ राह दिखाए वही चल पडो,
संकट आए तो ख़ुद लडो, और रोना आए तो हँस पडो,
किसी से ना कुछ आस करो, ना किसी पर विशवास करो,
ना समझ सका मैं यह सब हाल, और हार गया "अपनों" से आज........

BBye

I am waiting for you for a long while,
but you haven't come a single time,
this waiting season became so long so wild,
I have lost all my faith and power to fight,
if you don't come this time, all I say...
its you and not me, who is saying "BBYE"..........

Saturday, February 21, 2009

दर्द हैं इन आँखों में , जो वो समझ नहीं पाते,
कुछ बात है उनमे ऎसी कि, हम कुछ कह नहीं पाते,
है जो हक़ हमारा उनपे, हम जता नहीं पाते,
हँस लेते है हम मग़र मुस्कुरा नहीं पाते।

Tuesday, February 3, 2009

ज़िन्दगी की राह

ज़िन्दगी की राह में, मिले है कई लोग,
कुछ पतझड़ की पत्तियां, कुछ सावन की भोर,
कुछ रहते हैं साथ में, कुछ रहते है याद,
किसी से होती दोस्ती, किसी से होता प्यार,
किसी से जीते जीत हैं, किसी से जीते हार,
किसी से बनते प्यार के रिश्ते, कुछ करते तक़रार,
कुछ राहों की मंजिलें, और कुछ मंजिल की राह,
कुछ में मेरी ज़िन्दगी, और कुछ बिन मैं कहाँ....

बचपन

कोई होती प्यारी नटखट गुडिया,
टेंशन की लड़ी, आफत की पुडिया,
कभी मुझसे लड़ती, कभी मुझे सताती,
कभी मुझसे रूठती, कभी मुझे मनाती,
थोड़ा मुझे समझती, थोड़ा मुझे समझाती,
दिल की बात उससे कहता , तो हंसकर मजाक उडाती,
फिर धीरे से आती और प्यार से बतियाती,
और कहती-
"तू बावला हैं रे भाई!"
संग खेलते, संग खाते-बतियाते,
तो बचपन के वो दिन इतने सुने न रह जाते....