कोई होती प्यारी नटखट गुडिया,
टेंशन की लड़ी, आफत की पुडिया,
कभी मुझसे लड़ती, कभी मुझे सताती,
कभी मुझसे रूठती, कभी मुझे मनाती,
थोड़ा मुझे समझती, थोड़ा मुझे समझाती,
दिल की बात उससे कहता , तो हंसकर मजाक उडाती,
फिर धीरे से आती और प्यार से बतियाती,
और कहती-
"तू बावला हैं रे भाई!"
संग खेलते, संग खाते-बतियाते,
तो बचपन के वो दिन इतने सुने न रह जाते....
Tuesday, February 3, 2009
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mast hai..
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